गुरुवार, 10 जून 2021

हास्य व्यंग्य : कोरोना काल की बहुएं

    पुलिस कर्मी जिले-नफे पुलिस पिकेट पर तैनात हो जनता को कोविड गाइडलाइन्स का पालन करवाने की ड्यूटी में व्यस्त हो रखे हैं।
जिले - भाई नफे!
नफे - हाँ बोल भाई जिले! 
जिले - आज सड़क पर ऐसा क्या देख लिया जो तेरी बाछें इतनी ज्यादा खिली हुई हैं?
नफे - भाई, कोरोना काल की बहुओं को देख कर ये बाछें खिली हुई हैं।
जिले - कोरोना काल की बहुएं? पर भाई मुझे तो कहीं कोई बहू-वहू दिखाई नहीं दे रही है।
नफे - ध्यान से देखेगा तो वो बहुएं तुझे दिख जायेंगीं।
जिले - भाई, तू पहेली मत बुझा। साफ-साफ बता कि कहाँ हैं कोरोना काल की बहुएं?
नफे - सामने देख, वो आ रहीं हैं कोरोना काल की बहुएं।
जिले - भाई, लगता है तुझ पर पुलिस की नौकरी की थकान का कुछ ज्यादा ही असर हो गया है, तभी तू सामने आ रहे आदमियों की जगह औरतों को देख रहा है।
नफे - जो मैं तुझे दिखाना चाह रहा हूँ, उसे तू देख कर भी नहीं देखना चाह रहा है। 
जिले - भाई, अब तू दिमाग का दही मत कर और जल्दी से कोरोना काल की बहुओं को दिखा।
नफे - सामने से आ रहे लोगों को और उनके घूँघट को ध्यान से देख।
जिले - हे भगवान, लगता है कि तू मुझे पागल करके ही छोड़ेगा। सामने से आदमी आ रहे हैं और उन्होंने कोई घूँघट-वूंघट नहीं ओढ़ रखा है। उन्होंने मुँह पर मास्क लगा रखा....लगा भी नहीं रखा बल्कि अपने-अपने गले में लटका रखा है।
नफे - वो ही तो कोरोना काल की बहुएं हैं और उन्होंने जो मास्क गले में लटका रखा है वो है उनका घूँघट।
जिले - मैं कुछ समझा नहीं।
नफे - भाई, ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है। तू बस तैयार रह क्योंकि कोरोना काल की बहुएं अपने जेठ और ससुर को देख कर झट से घूँघट ओढ़ लेंगीं। इससे पहले कि बहुएं घूँघट ओढ़ें, हमें उनसे उनकी मुँह दिखाई का नेग ले लेना है।
जिले - एक मिनट, कोरोना काल की बहुओं के जेठ और ससुर हम हैं क्या? 
नफे - ठीक समझा!
जिले - देख भाई, बेशक तेरी और मेरी जन्मतिथि कागजों में समान हो पर मेरे बापू ने मेरे जन्म प्रमाणपत्र में मेरी उम्र ज्यादा लिखवा रखी है। सो कोरोना काल की बहुओं का तू ससुर है और मैं हूँ जेठ।
नफे - ठीक है बहुओं के जेठ जी!
जिले - और एक बात और सुन, बहुओं से मुँह दिखाई का नेग लिया नहीं जाता बल्कि दिया जाता है।
नफे - जेठ महाराज, कोरोना काल की बहुओं से मुँह दिखाई का नेग लिया ही जाता है, ताकि  वो यूँ सरेआम घूँघट उठाने से बाज आयें।
जिले - हूँ, वैसे इन बहुओं को घूँघट गिराने का इतना चाव क्यों रहता है?
नफे - दरअसल इनके दिलों में कोरोना सनम से गलबहियां करने की कुछ ज्यादा ही चाहत रहती है। पर इन्हें ये नहीं पता होता, कि इनकी चाहत के चक्कर में इनका कोरोना सनम इनके अगल-बगल के लोगों से भी गलबहियां कर डालेगा।
जिले - फिर तो इन्हें कोरोना सनम से दूर रखने के लिए दिलबर लट्ठ से मिलवाना पड़ेगा।
नफे - दिलबर लट्ठ से मिलवाने का कार्यक्रम इनसे नेग वसूलने के बाद ही रखेंगे। अगर सही मात्रा में नेग न मिला तो इनकी दादी सास बुरा मान जाएगी।
जिले - अब ये इनकी दादी सास कौन है?
नफे - दादी सास बोले तो सरकार।
जिले - भाई, दादी सास को बिलकुल भी बुरा नहीं मानने देंगे। तू बस नेग वसूलने की तैयारी रख मैं कुछ देर में ही इन कोरोना काल की बहुओं को पकड़ कर तेरे पास लाता हूँ।
इतना कह कर जिले ने दिलबर लट्ठ को उठाया और कोरोना काल की बहुओं की ओर तेजी से चल पड़ा।
चित्र गूगल से साभार
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