शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

हास्य व्यंग्य : डिसलाइक दिव्यास्त्र

     क्षीर सागर में ध्यानमग्न विष्णु जी ने नारद मुनि के 'नारायण-नारायण' जाप को सुनकर अपनी आँखें खोलीं।

- नारद, कहो कैसे पधारे?

- प्रभु, बस आपके दर्शन की इच्छा हुई तो आ गया।

- इस इच्छा के साथ कुछ न कुछ तो और भी बात है।

- प्रभु, आप तो अंतर्यामी हैं। मेरे बिना कुछ कहे ही सब जान गए होंगे।

- पर तुम अपने श्रीमुख से बताओगे तो पाठकों का भी कुछ ज्ञानवर्धन होगा।

- प्रभु, पृथ्वी पर मायानगरी में एक नए दानव ने उत्पात मचा रखा है।

- कौन है वह दानव?

- उसका नाम नेपोटिज्म है।

- नेपोटिज्म?

- हाँ प्रभु, नेपोटिज्म दानव बहुत शक्तिशाली और बड़ा ही निर्दयी है। नई-नई प्रतिभाओं को हजम करके डकार भी नहीं लेता है।

- नेपोटिज्म दानव को इतना शक्तिशाली होने का वरदान ब्रम्हा जी से प्राप्त हुआ है अथवा महादेव से।

- प्रभु, दोनों में से किसी ने उसे कोई भी वरदान नहीं दिया है।

- फिर उस पर किसकी कृपा है?

- उस पर माफिया नामक महादानव की कृपादृष्टि है। 

- अच्छा, नेपोटिज्म की सेना भी है अथवा नहीं?

- मायानगरी में वास करने वाले महादानव माफिया के भक्त नेपोटिज्म की सेना के अभिन्न अंग हैं।   

- तो फिर नेपोटिज्म अपनी सेना का तो ध्यान रखता होगा।

-  हाँ प्रभु, नेपोटिज्म की कृपा से ही उसके सैनिक और उनके परिवार मायानगरी पर कब्जा जमाए हुए हैं। ये सब मिलकर नेपोटिज्म की थाली में नई-नई प्रतिभाओं को नियमित रूप से परोसकर उनका सफाया करने के अभियान में सक्रिय हैं।

- इसका अर्थ है कि मायानगरी विकट समस्या से जूझ रही है।

- हाँ प्रभु, अब आप ही इस संकट से मुक्ति दिला सकते हैं।

- इस संकट से मुक्ति प्राप्त करने के लिए मानवों को स्वयं प्रयास करना पड़ेगा।

- प्रभु, वैसे इस संकट से मुक्ति का उपाय क्या है?

- डिसलाइक नामक दिव्यास्त्र!

- डिसलाइक दिव्यास्त्र?

- हाँ नारद, ये ऐसा अचूक दिव्यास्त्र है जो नेपोटिज्म दानव और उसकी सेना का पूर्ण रूप से नाश कर देगा।  

- प्रभु, इस दिव्यास्त्र को कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

- स्मार्ट फोन पर सोशल मीडिया यज्ञ करके डेटा की आहुति देने के उपरांत इस दिव्यास्त्र की प्राप्ति होगी। सजग रहते हुए जब भी मानवों को इस बात का भान हो कि नेपोटिज्म और उसकी सेना मोह का कोई नया जाल फैंकने वाली है उसी समय उन पर डिसलाइक दिव्यास्त्र चला दिया जाए। फिर देखो नेपोटिज्म अपनी सेना के साथ समाप्त होता है कि नहीं।

- नारायण-नारायण, प्रभु मैं अभी पृथ्वी पर जाकर नेपोटिज्म से भयभीत मानवों को ये उपाय बताता हूँ।

इतना कहकर नारद मुनि पृथ्वी की ओर दौड़ लिए और विष्णु जी फिर से ध्यानमग्न हो गए।

लेखक - सुमित प्रताप सिंह

चित्र गूगल से साभार  

गुरुवार, 13 अगस्त 2020

बिनोद हमारे दिलों में है


      ये ज़माना ट्रेंडिंग का है। सोशल मीडिया पर कब क्या ट्रेंड हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। इन दिनों ट्विटर पर ट्रेंडिंग की जिम्मेवारी बिनोद ने संभाल रखी है। देश की अधिकांश ट्विटरी जनता इस बात को जानने की इच्छुक है कि आखिकार बिनोद को क्यों ट्रेंड किया जा रहा है।

असल मे यह सब एक यू-ट्यूब चैनल Slayy Point से शुरू हुआ, जब उसके क्रिएटर अभ्युदय और गौतमी ने अपने वीडियो पर आने वाले कमेंट पर एक वीडियो बनाने का सोचा। 15 जुलाई को उन्होंने अपने चैनल पर ‘Why Indian Comments Section is Garbage (BINOD)’ नाम से एक वीडियो शेयर किया। जिसमें उन्होंने लोगों के कुछ अजीबोगरीब कमेंट्स दिखाए। इस वीडियो में बिनोद थारू नाम के एक शख्स ने हर कमेंट में सिर्फ बिनोद लिखा था। वीडियो के सामने आने के बाद से ही लोगों ने हर यू-ट्यूब वीडियो पर कमेंट में बिनोद लिखना शुरू कर दिया।

जल्द ही यह ट्रेंड Twitter पर भी लोकप्रिय हो गया। विचारणीय प्रश्न ये है कि बिनोद थारू नामक व्यक्ति क्यों सभी जगह बिनोद लिखता फिरता है।

यदि हम इस विचारणीय प्रश्न पर विचार न भी करें तो भी बिनोद के इस बिनोदी व्यवहार का कारण समझा जा सकता है। इस संसार में हर इंसान अपनी रोटी, कपड़ा और मकान इत्यादि आवश्यकताओं के पूरा होने बाद अपने दिल में एक सपना पालना शुरू करता है। उस सपने का नाम है 'जग में नाम कमाना'। नाम कमाने के लिए लोग दान देते हैं, लोगों की सहायता करते हैं और स्कूल, धर्मशाला इत्यादि का निर्माण करते हैं। जो ये सब नहीं कर पाते हैं वे अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सोशल मीडिया पर बैठ जाते हैं। शायद इसी सपने को साकार करने के लिए बिनोद ने अपना बिनोदी अभियान शुरू किया होगा।

बहरहाल बिनोद को अपने परिश्रम का लाभ मिला और फुरसतिया यूट्यूबरों, ट्विटराओं और ट्विटरियों ने बिनोद को ट्रेंड करना शुरू कर दिया। ये ट्रेंड धीरे-धीरे पूरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फैल चुका है। अब लोग बिनोद को खोज रहे हैं। कुछ लोग उसके ट्रेंड होने का कारण ढूँढ़ रहे हैं।

ऐसा करते हुए लोग ये भूल जाते हैं कि जिस बिनोद की तलाश में वे सब लगे हुए हैं वह तो हम सभी के दिलों में पैठ बनाकर बैठा हुआ है। नाम कमाने की इच्छा रखने वाला हर वो इंसान बिनोद है जो समाज सेवा करके, दान-दक्षिणा देकर या फिर कोई अच्छा और भला कार्य करने के बजाय उल्टे-सीधे और अजीबोगरीब तरीके आजमा कर अपना नाम कामना  चाहता है।

बहरहाल बिनोद का मिशन सफल हो चुका है। अब हर कोई बिनोद की चर्चा में व्यस्त है। कई फर्जी बिनोद इसका क्रेडिट लूटने के लिए सोशल मीडिया पर प्रकट हो चुके हैं। पर असली बिनोद इन सब घटनाओं को देखकर मंद-मंद मुस्कुराता हुए ट्विटराओं के ट्वीटों में, फेसबुक पोस्ट में या फिर यूट्यूब के वीडियो पर कमेंट के रूप में अपना नाम बिनोद दर्ज करने में मस्त हो रखा है।

लेखक - सुमित प्रताप सिंह

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