बुधवार, 27 मई 2020

व्यंग्य : कोरोना वारियर्स सर्टिफिकेट


    फे गाना गुनगुनाते हुए घर में प्रवेश करता है। ये देखकर उसकी पत्नी उससे पूछती है।
नफे की पत्नी : क्या बात है? आज बड़े खुश लग रहे हो?
नफे : खुश होने वाली बात ही है। ये देखो। (अपने मोबाइल में कुछ दिखाता है)
नफे की पत्नी : अरे ये क्या है?
नफे : ये सर्टिफिकेट है।
नफे की पत्नी : किस बात का सर्टिफिकेट?
नफे : ये कोरोना वारियर्स सर्टिफिकेट है।
नफे की पत्नी : कोरोना वारियर्स? पर तुमने कोरोना की कौन सी वार लड़ ली, जो कोरोना वारियर्स सर्टिफिकेट मिल गया?
नफे : अरे भाग्यवान, दरअसल मैं सोशल मीडिया पर ये देख-देख कर थक गया था, कि हर ऐरे-गैरे, नत्थूखैरे को कोरोना वारियर्स घोषित कर उसके नाम का सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है।
नफे की पत्नी : हाँ, काफी दिनों से ये ड्रामा देख तो मैं भी रही हूँ।
नफे : इसी ड्रामे को देख कर मेरे दिल में भी एक टीस सी रहती थी, कि कोई हमें भी एक अदद सर्टिफिकेट देकर कोरोना वारियर्स घोषित कर डाले।
नफे की पत्नी : तो तुमने इस सर्टिफिकेट का जुगाड़ कहाँ से किया?
नफे : अपना एक साथी है जुगाड़ी लाल। वह पुलिस के साथी नाम से एक संस्था चलाता है। उसी से इस सर्टिफिकेट का जुगाड़ हुआ है।
नफे की पत्नी : इन दिनों देखने में आ रहा है, कि पुलिस काफी मेहनत कर रही है। वैसे जुगाड़ी लाल की संस्था पुलिस वालों का साथ निभा भी रही है या नहीं?
नफे : मैं कुछ समझा नहीं।
नफे की पत्नी : अरे, मैं तो ये पूछ रही हूँ कि जुगाड़ी लाल ने पुलिस के साथी नाम से संस्था बनायी है तो उस संस्था के माध्यम से पुलिस का कैसे साथ निभाती है। मतलब कि पुलिस के लिए कुछ करती-वरती भी है कि नहीं।
नफे : करती है न। संस्था का अध्यक्ष जुगाड़ी लाल किसी न किसी पुलिस अफसर को कभी गुलदस्ता तो कभी मिठाई का डिब्बा देते हुए उसके साथ अपनी चमकदार बत्तीसी दिखाकर फोटो खिंचवाता है और उस फोटो को फटाफट सोशल मीडिया पर शेयर कर देता है।
नफे की पत्नी : और क्या-क्या काम करता है ये जुगाड़ी लाल?
नफे : जब किसी व्यक्ति का पुलिस से संबंधित कोई काम अटकता है, तो जुगाड़ी लाल जुगाड़ बिठा कर उस काम को करवा देता है। इससे उसकी रोजी-रोटी का अच्छा-खासा जुगाड़ भी हो जाता है।
नफे की पत्नी : तो कोरोना की इस घड़ी में जुगाड़ी लाल की संस्था कुछ कर-वर भी रही है कि नहीं?
नफे : कर रही है न।
नफे की पत्नी : क्या कर रही है?
नफे : इस समय जुगाड़ी लाल अपनी संस्था के माध्यम से सोशल डिस्टेंसिंस की पूरी इज्ज़त करते हुए कोरोना वारियर्स के ऑनलाइन सर्टिफिकेट बाँटते हुए अपने पापी पेट के लिए जुगाड़ करने में मस्त है।
नफे की पत्नी : और इसी दौरान तुमने भी उनसे कोरोना वारियर्स के सर्टिफिकेट का जुगाड़ कर लिया। वैसे उन्होंने तुम्हें किस कैटगरी में कोरोना वारियर्स घोषित किया है?
नफे : अब सर्टिफिकेट मिल गया है, तो  कैटेगरी-वैटेगरी भी बाद में सोच ली जाएगी।
नफे की पत्नी : सुनते हो जी, मैं ये कह रही थी कि जुगाड़ी लाल से कह कर मेरा भी कोरोना वारियर्स का एक सर्टिफिकेट बनवा दो। मेरी जाने कितनी फ्रेंड्स कोरोना वारियर्स के सर्टिफिकेटों के संग सोशल मीडिया पर इठलाती फिर रही हैं।
नफे : हम्म, एक जेब तो खाली हो गयी। दूसरी जेब से पूछता हूँ कि सर्टिफिकेट के लायक उसमें कुछ वजन है भी कि नहीं?
नफे की पत्नी : (गुस्सा होते हुए) मतलब कि तुम मेरी छोटी सी बात भी नहीं मानोगे?
नफे : अरे नहीं मेमसाब, तुम्हारा आदेश सर आँखों पर...(झट से जुगाड़ी लाल को फोन मिलाता है) हैलो जुगाड़ी लाल जी एक और कोरोना वारियर्स के सर्टिफिकेट का जुगाड़ कर देंगे? अरे चिंता मत कीजिए आपकी सेवा का जुगाड़ हो जाएगा।
जुगाड़ी लाल : (दूसरी ओर से फोन पर) जनाब, अब मैं कोरोना वारियर्स के सर्टिफिकेट नहीं दे पाऊँगा।
नफे : जुगाड़ी लाल जी, मैं खर्चा देने को तैयार हूँ, फिर आपको दिक्कत क्या है?
जुगाड़ी लाल : जनाब, मैंने इतने सारे ऑनलाइन सर्टिफिकेट बाँटे, कि किसी ने पुलिस के कान फूँक दिए और मुझे  हवालात में डाले जाने की तैयारी चल रही है। 
नफे :अरे बाप रे! ( वह घबरा कर मोबाइल फोन से कोरोना वारियर्स सर्टिफिकेट को फटाफट डिलीट कर देता है)
नफे की पत्नी : अरे ये क्या किया तुमने? मेरे सर्टिफिकेट का जुगाड़ तो किया नहीं और अपना सर्टिफिकेट भी डिलीट कर दिया।
नफे : (प्यार से कंधे पर हाथ रखते हुए) डार्लिंग, ये सर्टिफिकेट वगैरह सब मिथ्या हैं। इंसान जिस हाल में हो उसी में जिये तो ज्यादा अच्छा है।
नफे की पत्नी : हुँह, आ गए न अपनी औकात पे।
नफे : मेमसाब, अब तुम जो भी समझो वही ठीक है!

शुक्रवार, 1 मई 2020

हास्य कविता - टहलू इंसान



र कोई इंसान भला 
घर में कहाँ बहलता है
इसलिए विवश हो वह
घर से बाहर जा टहलता है
घर में वह रुक जाए 
ये भी भला कोई बात है
उसकी तो एक अलग ही 
टहलू नाम की जमात है
बेशक कैसी भी रोक हो
कोई भी सरकारी टोक हो
वह इंसान हर रोक-टोक को
बड़ी बेदर्दी से नकार देगा
जब तक आप उसे टोकेंगे
वह पार्क का एक चक्कर काट लेगा
जब अकेले टहलने से  
वह बहुत ऊब जाएगा
तब टहलू जमात के साथ
वह गप्प में डूब जाएगा
जब रंगे हाथों वह पकड़ा जाएगा
तो झट से ढेरों बहाने बनाएगा
मैं तो आया था माँ की दवाई लेने
या फिर बच्चे की जिद पर मिठाई लेने
पत्नी के आदेश से रौशनाई लेने 
या फिर ओढ़ने को नई रजाई लेने 
उसका कोई न कोई बहाना
आखिर काम कर ही जाएगा 
और पकड़े जाने से वह
बाल-बाल बच जाएगा
यूँ बच जाने पर वह 
खुशी के मारे ऊल जाएगा
और कुछ देर बाद टहलने को 
फिर किसी पार्क में कूद जाएगा।
लेखक - सुमित प्रताप सिंह



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