रविवार, 1 अक्तूबर 2017

कविता : घर में बुजुर्ग होने का अर्थ


('अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस' पर विशेष कविता)

घर में बुजुर्ग होने का अर्थ है
जीवन की एक विशेष पाठशाला का होना
जिसमें मिल सकते हैं हमको
नित्य नए-नए सबक

घर में बुजुर्ग होने का अर्थ है
तजुर्बों को अपने मस्तिष्क में संजोए हुए
एक तजुर्बेकार व्यक्तित्व की उपस्थिति
जो सिखा सकता है हमें
गलत और सही में सच्चा फर्क

घर में बुजुर्ग होने का अर्थ है
अपनी जिम्मेवारियों को
बखूबी निभा लेने के बाद भी
जिम्मेवारियों का बोझ उठाए हुए
एक बहुत ही खास शख्सियत

घर में बुजुर्ग होने का अर्थ है
अपने हृदय में
स्नेह का सागर भरे हुए
एक प्यारी सी मानव कृति

घर में बुजुर्ग होने का अर्थ है
हमारे परिवार के चारों ओर
एक मजबूत चारदीवारी का होना
जो करती है सुरक्षा
हर असंभावित खतरे से

इसलिए बुजुर्ग आदणीय हैं, वंदनीय हैं
और हमारे घर के अभिन्न अंग हैं
यदि बुजुर्गों का आशीष हमारे संग है
तो फिर इस जीवन में उमंग ही उमंग है।

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

4 टिप्‍पणियां:

हेमेंद्र तोमर ने कहा…

बहुत सुंदर लेख भैया 🙏

Sumit Pratap Singh ने कहा…

कविता को पसंद करने के लिए धन्यवाद हेमू...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुंदर और सटीक रचना

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

इसलिए बुजुर्ग आदणीय हैं, वंदनीय हैं
और हमारे घर के अभिन्न अंग हैं
यदि बुजुर्गों का आशीष हमारे संग है
तो फिर इस जीवन में उमंग ही उमंग है।
... बहुत सारगर्भित रचना।

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