शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

ज्योतिष जाल बुनतीं संगीता पुरी



प्रिय मित्रो

सादर ब्लॉगस्ते!


     दोस्तो सिकंदर के आक्रमण के बाद भारत का यूनान से संपर्क बढ़ा. भारतीयों ने यूनानियों को बहुत कुछ सिखाया, तो उनसे भी बहुत कुछ सीखा. ज्योतिष विद्या यूनानियों ने ही भारतीय को सिखाई. मजे की बात यह है कि यूनानी ज्योतिषी बिना नहाये ही सबका भाग्य बताते थे इसलिए भारतीय उन्हें म्लेच्छ कहते थे (जाने कैसे यूनानी इतने दिन बिना नहाए रह लेते होंगे, हमारी कलम घिस्सी बहना को तो एक हफ्ते में ही शरीर में खुजली होने लगती है), जबकि हम भारतीय प्राचीन काल से ही बड़े साफ़-सुथरे रहे हैं और भारतीय ज्योतिषी नहा-धोकर पूर्णरूप से शुद्ध होकर सबका भविष्य बताते थे और बताते हैं. हालाँकि ज्योतिष विद्या पूर्णरूप से एक वैज्ञानिक विद्या है किन्तु कुछ अधूरे अज्ञानियों ने इसे बदनाम कर रखा है. हालाँकि कुछ लोग इस विद्या के असल रूप को लोगों तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं.
    
    आज हम मिलेंगे एक ऐसी हिंदी ब्लॉगर से जो हिंदी ब्लॉग लेखन द्वारा लोगों को ज्योतिष ज्ञान बाँट रही हैं (या यूँ कहें कि अपने ज्योतिष जाल में सबको फँसा रही हैं). इनका नाम है श्रीमति संगीता पुरी. इन्होने मास्‍टर डिग्री ली है अर्थशास्‍त्र में, किन्तु सारा जीवन समर्पित कर दिया ज्‍योतिष को... इनके बारे में कुछ खास नहीं है बताने को अभी तक... ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमें से वैज्ञानिक तथ्यों को निकालने में सफ़लता पाते रहना... बस सकारात्‍मक सोच रखती हैं... सकारात्‍मक काम करती हैं... हर जगह सकारात्‍मक सोच देखना चाहती हैं... आकाश को छूने के सपने हैं इनके... और उसे हकीकत में बदलने को प्रयासरत हैं

सुमित प्रताप सिंह- संगीता पुरी जी नमस्कार! सुमित प्रताप सिंह आपसे मिलने आया है.

संगीता पुरी- नमस्कार सुमित जी! आपका स्वागत है. कहिए कैसे पधारे? सब कुशल मंगल तो है?

सुमित प्रताप सिंह- जी सब कुशल मंगल है. आप कैसी हैं? कुछ प्रश्न लाया हूँ आपके लिए.
(तभी अचानक किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी. पीछे मुड़कर देखा तो कोने में एक ब्लॉगर बंधु ज्योतिष जाल में जकड़े हुए कराह रहे थे)
    
संगीता पुरी- (मेरा ध्यान बांटते हुए) प्रश्न लाए हो तो पूछ डालो. नक्षत्रों के अनुसार यह बिलकुल उचित समय है प्रश्न पूछने का (और उत्तर देने का?).

सुमित प्रताप सिंह- जी अवश्य पहले तो मेरे भविष्य से संबंधित एक प्रश्न का हल करने की कृपा करें?
(तभी उसी कोने से किसी और के कराहने की आवाज आई. डरते-डरते फिर से पीछे मुड़कर देखा तो एक और हिंदी ब्लॉगर ज्योतिष जाल में फँसे हुए व गोद में लैपटॉप धरे फेसबुक चलाते-चलाते कराह रहे थे)

संगीता पुरी- (फिर ध्यान बंटाते हुए) पूछो क्या समस्या है?

सुमित प्रताप सिंह- जी अभी कुछ समय पहले दैनिक जागरण ने मेरा शहर मेरा गीत (दिल्ली एंथम) हेतु “श्रेष्ठ तीन गीत” में चयन किया था. क्या मेरा गीत दिल्ली शहर का गीत (दिल्ली एंथम) बन पाएगा?

संगीता पुरी- सुमित जी आपकी हरकतों से तो ऐसा ही लगता है कि विजेता आप ही बनेंगे.
(आंय संगीता पुरी जी मेरा भविष्य बता रही हैं या फिर मेरी खिंचाई कर रही हैं. खैर आगे बढ़ा जाए.)

सुमित प्रताप सिंह- आपको यह ब्लॉग लेखन का  चस्का  कब और कैसे लगा?

संगीता पुरी- ज्‍योतिष की एक नई शाखा के रूप में विकसित किए गए 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' के प्रचार-प्रसार के लिए किसी राह के बारे में हम चिंतन ही कर रहे थे, कि अपनी मातृभाषा में ब्‍लॉगिंग करने की सुविधा सामने दिखी. इससे बडा माध्‍यम और क्‍या हो सकता था? हमने ब्‍लॉगिंग शुरू कर दी. पाठकों और टिप्‍पणियों से मेरा हौसला बुलंद होता गया और नियमित लिखती चली गयी।
(संगीता पुरी जी के ज्योतिष जाल का एक-चौथाई भाग बुना जा चुका था) 

सुमित प्रताप सिंह- आपकी पहली रचना कब और कैसे रची गई?

संगीता पुरी- पहली रचना तो मैने ब्‍लॉग जगत में आने के बहुत पहले लिखी थी. किसी पत्रिका के लिए. बस अपने अनुभव शेयर करती थी. अधिक गंभीर नहीं रही कभी लेखन को लेकर।

सुमित प्रताप सिंह- आप लिखती क्यों हैं?

संगीता पुरी- मैं ज्‍योतिष के क्षेत्र में विकसित की गई एक नई शाखा 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष'  के सिद्धांतों के हिसाब से ग्रहों का आम व्‍यक्ति के जीवन, मौसम, शेयर बाजार, क्रिकेट आदि पर प्रभाव को लेकर शोध कार्य में संलग्‍न हूँ. ज्‍योतिष को लेकर आम जन में प्रचलित भ्रांतियों को दूर करने, अंधविश्‍वास को दूर करने और इसके वैज्ञानिक स्‍वरूप से लोगों को परिचित कराने के लिए ही मैं लिखा करती हूँ।
(संगीता पुरी जी का ज्योतिष जाल लगभग आधा तैयार हो चुका था. यह देखकर दिल में धुक-धुक सी होने लगी)

सुमित प्रताप सिंह- लेखन में आपकी प्रिय विधा कौन सी है?

संगीता पुरी- सामाजिक मुद्दा मेरी पसंद है. इसे लेकर आलेख और कहानी लिखना भी मैं पसंद करती हूँ, पर इस क्षेत्र में मुझसे अधिक अनुभवी लिखनेवालों की कमी नहीं और ज्‍योतिष के अध्‍ययन और शोध को लेकर मैं बहुत  गंभीर हूँ. इसलिए आलेखों के रूप में इससे संबंधित जानकारी लोगों तक पहुंचाना ही मेरा मुख्‍य लक्ष्‍य हो गया है।

सुमित प्रताप सिंह- अपनी रचनाओं से समाज को क्या सन्देश देना चाहती हैं?

संगीता पुरी- चाहे मैं कहानी लिखूं या ज्‍योतिष पर कोई आलेख मेरा विषय समाज में मौजूद किसी भी क्षेत्र की कुछ भ्रांतियों को तोडना ही होता है. किसी भी क्षेत्र में मैं 'अति' या 'इति' को न मानते हुए एक मध्‍यम मार्ग की तलाश में रहती हूँ. जहाँ दो पीढियों या दो तरह के विचारों के मध्‍य तालमेल की जगह बना सकूं. मेरा मानना है कि कोई भी सिद्धांत या विचारधारा इतना पूर्ण नहीं होता कि उसमें सुधार की गुंजाइश न हो. हमारा सनातन धर्म हर क्षेत्र में सतत् प्रवाह बनाए रखने की आजादी देता है. लेकिन आमजन इस बात को न समझते हुए एक बात को पकड़कर बैठे होते हैं. जिससे समस्‍याएं जन्‍म लेती हैं।
( संगीता पुरी जी के ज्योतिष जाल का तीन-चौथाई भाग बन चुका था. मेरे चेहरे पर घबराहट से पसीने की कुछ बूँदें दिखाई देने लगीं जिन्हें देखकर ज्योतिष जाल में फँसे दोनों ब्लॉगर बंधु मंद-मंद मुस्काने लगे.) 

सुमित प्रताप सिंह- एक अंतिम प्रश्न. आप तो सबका भाग्य बताती हैं तो क्या आप यह बताने का कष्ट करेंगी कि हिंदी में ब्लॉग लेखन का आनेवाला भविष्य कैसा है?

संगीता पुरी- 'गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष' ने मनुष्‍य के जीवन में पडनेवाले ग्रहों के प्रभाव का बहुत अच्‍छा
अध्‍ययन किया है. मानव जीवन के बहुत सारे पक्षों की बातें अब स्‍पष्‍ट समझ में आती है..खासकर मनुष्‍य के जीवन के विभिन्‍न काल पर ग्रहों से वे किस प्रकार प्रभावित होंगे. इसको स्‍पष्‍टत: बताया जा सकता है .. ग्रहों के गत्‍यात्‍मक और स्‍थैतिक शक्ति की नई जानकारी के बाद मौसम , शेयर बाजार , राजनीति और अन्‍य क्षेत्रों में ग्रह के प्रभाव के बारे में लगातार अध्‍ययन चल रहा है .. और कई निष्‍कर्ष स्‍थापित किए जा चुके हैं .. पर ब्‍लॉग जगत को लेकर ऐसा कोई अध्‍ययन हमने नहीं किया है.. पर यदि इस क्षेत्र में बुद्धिजीवी वर्ग की उपस्थिति को ध्‍यान में रखते हुए बुध ग्रह के आधार पर कुछ निष्‍कर्ष निकाला जाए, तो इस क्षेत्र में असीमित संभावनाएं दिखाई देती हैं। 

(मेरी पोटली में लाए हुए प्रश्न लगभग समाप्त हो चुके थे और इस दौरान संगीता पुरी जी ने भी अपना ज्योतिष जाल बुनकर तैयार कर लिया था. इससे पहले कि वह अपना ज्योतिष जाल मुझपर फैंकने का विचार करतीं, मैंने अपनी पोटली उठाई और उनसे जय सिया राम कहकर  भाग लिया अगले पड़ाव की ओर)

संगीता पुरी जी को ज्योतिष जाल बुनते हुए देखना हो तो पधारें http://www.gatyatmakjyotish.com/ पर...

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